एक लेखक की ‘एनेटमी‘ - 3 - अंतिम भाग

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एक लेखक की ‘एनेटमी‘ प्रियंवद (3) स्टूल पर बैठे आदमी ने, जो प्रेमियों के लिए जलते चिराग की तरह दिखते घर से कुद देर पहले आया था, एक झटके में गिलास की शराब खत्म कर दी। उसने अपने लिए दूसरा गिलास बनाया। स्टूल से उठ कर हरे मटर एक कप में रखे। उन्हें लेकर वापस स्टूल पर बैठ गया और फिर सुनने लगा। ‘‘नहीं, मैं जामुन का जैम नहीं खाता‘‘ एक दूसरे गुट से किसी रोमन सेनेटर की तरह तेज, दमदार आवाज सुनायी दी। ‘‘क्यों‘‘? किसी ने पूछा ‘‘क्योंकि ईसा का मुकुट इसके काँटों से बना था‘‘ लोगों ने तालियाँ