30 शेड्स ऑफ बेला - 15

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30 शेड्स ऑफ बेला (30 दिन, तीस लेखक और एक उपन्यास) Day 15 by Dhyanendra Tripathi ध्यानेंद्र त्रिपाठी घाटों के गलियारों से पक्के महाल की सीलन भरी जादुई गलियों के कुछ कोनों ने ताउम्र सूरज की रोशनी नहीं देखी। इनके इर्द-गिर्द शान से खड़ी पुरातन हवेलियां भी तकरीबन इन्हीं के जैसी हैं। भुवन भास्कर की रोशनी से महरूम और रहस्यमई जानलेवा आकर्षणों से गलियों के गिर्द झांकती, सदियों से बनारस के लोगों को महफूज रखतीं, वक्त के थपेड़ों से निस्पृह, अपने ही मोहपाश में स्पंदित। सुधीर बाबू की मिठाई की दुकान बनारस की इन्हीं गलियों के जादू का स्वाद है,