दह--शत - 37

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एपीसोड –37 कहीं सच ही वर्मा पुलिस के साथ न आ रहा हो....वह घर के मंदिर में दीपक जला देती है...मन के भय पर काबू पाने के लिए ‘ऊँ भृ भवः सः’ का ऊँची आवाज़ में जाप करने लगती है। उसे लग रहा है उसके भय के साथ घर का कोना-कोना थर्रा रहा है। अभय खुश ख़बरी देते हैं, “लो टिकट मिल गये लेकिन मैं दीदी की बेटी की शादी में जाऊँगा। तुम्हारी बहिन के यहाँ नहीं जाऊँगा।” समिधा उन्हें रूठे हुए बच्चे की तरह बहला देती है, “कोई बात नहीं है, मत जाना।” वह अच्छी तरह समझ गई है