महाकवि भवभूति - 15

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महाकवि भवभूति 15 संवेदनाओं का संदेशवाहक संदेश से जीवन में समग्रता बनी रहती है। जीवन के विकास में संदेश की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। राष्ट्रीय एकता के परिप्रेक्ष्य में इसका मूल्य और अधिक बढ़ जाता है। संदेश वाहक पद्मावती नगरी को देखने की उत्कण्ठा लिये कन्नौज से रवाना हो गया। उन सभी बातों को सहेजकर रखने लगा जो उसने पद्मावती के बारे में सुन रखी थी। महाराज यशोवर्मा अपनी राज्यसभा में पद्मावती की प्रशंसा करते हुये तृप्त नहीं होते। प्रकृति के सुरम्य दृश्य पद्मावती की धरती ने अपने अन्तस् में छुपा रखे हैं। उन्हें देखने का आज यह अवसर