अपने-अपने इन्द्रधनुष - 10

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अपने-अपने इन्द्रधनुष (10) आज सायं कई दिनों के पश्चात् छोटी का फोन आया। उससे बातंे कर के मन में नवस्फूर्ति को संचार होने लगता है। मुझसे बातंे करते समय वह सदा प्रफुल्लित रहती है। मेरा हृदय उसे सदैव आशीर्वाद देता है। वह इसी प्रकार खुश रहे। दुःख कर परछाँई उसे छू तक न सके। बातों बातों में मैंने उसे पूछा, ’’ इस समय वह क्या कर रही है। ’’ उसने हँसते हुए वही हास्य से भरा उत्तर दिया, ’’ आपको फोन। ’’ ’’ अरे हाँ...वो तो कर ही रही हो.....किन्तु अभी क्या-क्या किया..... और इसके बाद क्या करोगी? ’’ मैंने