तानाबाना - 19

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तानाबाना 19 नियत समय पर रेलगाङी ने सीटी बजाई और धुँआ उगलती हुई पटरियों पर दौङने लगी । इधर इन दोनों के मन के घोङे सरपट भाग रहे थे , उधर छुक छुक करती रेलगाङी । कोई स्टेशन आता तो झटके से गाङी रुकती , इधर इनकी सोच के अश्व थमते । कैसे जाएंगे , घरवालों को क्या कहेंगे , रोटी का जुगाङ कैसे होगा , चाचा ने चाची की कितनी धुनाई की होगी , उनके घर पहुँचने से पहले अगर चाचा – चाची वहाँ सहारनपुर पहुँचे हुए तो । सौ तरह के सवालों से उलझते सुलझते रात