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TANABANA by Sneh Goswami | Read Hindi Best Novels and Download PDF

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तानाबाना by Sneh Goswami in Hindi
Novels

तानाबाना - Novels

by Sneh Goswami Matrubharti Verified in Hindi Novel Episodes

(195)
  • 10.5k

  • 28.6k

  • 3

आज किसी ने पांच छह लाईन मेंं परिचय माँगा, बड़ी दुविधा में जान आ गई।भला आधी सदी की बात कुल जमा चालीस शब्दों या चार सतरों में कोई कैसे लिख सकता है । जिन्दगी भी ऐसी वैसी नहीं, एकदम ...Read Moreखाबड़।एक पल हँसी तो दो दिन की सिसकियों वाला रोना।हर पल मैलोड्रामा।ऐसी जिंदगी कि कम से कम दस फिल्में बनाने का मसाला समेटे हुए है।तो भई हमने भी तय कर लिया है, लिखेंंगे तो दो सौ पन्ने लिख डालेंगे।अब यह मत कहना कि बोर हो गए।पहली बात तो रब झूठ न बुलाए, बोर हो नहीं सकते और अगर कहीं होने

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तानाबाना - 1

(11)
  • 1.3k

  • 2.6k

आज किसी ने पांच छह लाईन मेंं परिचय माँगा, तो बड़ी दुविधा में जान आ गई।भला आधी सदी की बात कुल जमा चालीस शब्दों या चार सतरों में कोई कैसे लिख सकता है ? जिन्दगी भी कोई ऐसी वैसी ...Read Moreएकदम ऊबड़ खाबड़।एक पल हँसी तो दो दिन की सिसकियों वाला रोना।हर पल मैलोड्रामा।ऐसी जिंदगी कि कम से कम दस फिल्में बनाने का मसाला समेटे हुए है।तो भई हमने भी तय कर लिया है, लिखेंंगे तो दो सौ पन्ने लिख डालेंगे।अब यह मत कहना कि बोर हो गए।पहली बात तो रब झूठ न बुलाए, बोर हो नहीं सकते और अगर कहीं होने की ....

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तानाबाना - 2

  • 845

  • 1.8k

तानाबाना – 2 झीनी बीनी चदरिया के ताने की पहले दो तारों की बात मैंने शुरु की ही थी कि एक तार खट से टूट गया । दूसरा तार उलझ कर स्वयं से ही लिपट गया । यह ...Read Moreथा उन्नीस सौ चालीस का साल जब भारत जो तब हिन्दोस्तान के नाम से जाना जाता था ,में राजनीतिक और सामाजिक उथलपुथल का वर्ष था । एक तरफ आजादी का संघर्ष चरम पर था तो दूसरी ओर मिशनरी तथा ब्रह्मसमाज जैसी संस्थाओंके प्रयासों से भारत में आधुनिक शिक्षा का प्रचार प्रसार हो रहा था । युवक थोङा बहुत पढकर

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तानाबाना - 3

  • 730

  • 1.6k

तानाबाना 3 यह वह समय था जब एक ओर लक्ष्मीबाई , अहिल्याबाई , देवीचेनम्मा , महारानी पद्मावती की वीरता की कहानियाँ घर घर कही सुनी जाती थी पर घर की औरतों को दबा कर रखा जाता । मायके ...Read Moreकहीं उनकी कोई सुनवाई नहीं थी । इसी कुल की एक महिला की कहानी सुनिए , खुदबखुद उस समय की औरतों की हालत का अंदाज हो जाएगा । इसी परिवार के एक लङके की शादी हुई । वधु सामान्य कदकाठी की साँवली सी लङकी थी । नैन नक्श भी बिल्कुल साधारण । तब दूल्हा दुल्हन को देखने दिखाने का

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तानाबाना - 4

(11)
  • 698

  • 1.5k

तानाबाना 4 उस लङकी के इस तरह लापता हो जाने पर चार दिन तो उसकी चर्चा रही फिर उसे सपने की तरह भुला दिया गया । इस घटना को घटे महीने से एक दो दिन ज्यादा बीते होंगे ...Read Moreएक दिन पङोस की ताई चूल्हे की आग लेने चौके में आई । आज की पीढी को हो सकता है , बात हजम न हो । लाईटर से या आटोमैटिक गैस चूल्हे जलते देखने वाली पीढी की जानकारी के लिए बता दूँ । इसी इंडिया में माचिस से दिया या चूल्हा जलाना अपशगुण माना जाता था । रसोई का

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तानाबाना - 5

(13)
  • 663

  • 1.4k

तानाबाना 5 पास पङोस की हैरानी , चिंता , ईर्ष्या , निंदा चुगली चलती रही । इन सब से बेपरवाह दुरगी पहले की तरह घर के काम काज में जुटी रहती । दोपहर में थोङा फुरसत होती तो ...Read Moreलेकर बैठ जाती । ये स्वदेशी अपनाओ के दिन थे । जगह जगह विदेशी कपङों की होली जलाई जा रही थी । घर घर चरखे घूम रहे थे । क्या औरतें क्या मरद सब दिन में एक दो घंटे चरखा जरुर कातते । हथकरघे चलने शुरु हो रहे थे । औरतें घर में दरियाँ ,खेस , दोहर बुनती । अपनी

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तानाबाना - 6

  • 570

  • 1.2k

तानाबाना 6 घर की इस बेटी की बात आगे । फिलहाल तो यहीं पाकपटन की बात जारी रखी जाय । इस घटना के सात महीने बीते होंगे कि एक दिन भट्ट बाबा ( यह चारण थे जो परिवार ...Read Moreहर जातक का जन्म लेखा अपनी लाल जिल्द चढी बही में लिख कर रखते । किसी भी वंस का हालउनके खाते में दर्ज रहता ।साल में एक बार जरुर आते । अक्सर लोग इनसे रिश्ता सुझाने के लिए कहते और ये रिश्ता तय करवा भी देते ) के साथ दो लोग आए । एकदम गोरे चिट्टे , दंबे ऊँचे

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तानाबाना - 7

  • 479

  • 1.2k

तानाबाना 7 दिन हफ्तों में बदले , हफ्ते महीनों में और महीने सालों में । सर्दी जाती तो गर्मी आ जाती और गर्मी जाती तो सर्दी आ जाती । मौसम बदलते रहे । नहीं बदला तो मंगला का ...Read Moreऔर उसके कठोर नियम । उसका जमीन पर सोना । शाम को एक समय भोजन करना । चौबीस की चौबीस एकादशी का निर्जल ल्रत , हर एकादशी पर मुंडन सब जारी रहे । सारी जिंदगी उसने नया कपङा नहीं पहना । सारा जेवर पोटली बाँध धर दिया । हाथ नाक कान सब अंलकार विहीन । लोगों में पहले चर्चा

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तानाबाना - 8

  • 418

  • 898

तानाबाना - 8 आप भी सोच रहे होंगे ,क्या कर रही हूँ मैं । देने चली थी अपना परिचय और ले बैठी कहानियाँ कुछ इधर की ,कुछ उधर की । पहले दुरगी और उसकी देवरानियों की कहानी ले ...Read More, अब मंगला और उसके तमाम खानदान की । सही हो जी आप बिल्कुल सही । एक परसैंट भी गलत नहीं । पर क्या है न , जब कपङा खरीदने के लिए बाजार जाते है न , बिल्कुल प्योर वाली सिलक का कपङा तो सबसे पहले उसको आँखों से परखते हैं , फिर छूकर देखते हैं । फिर धीरे

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तानाबाना - 9

  • 401

  • 1.2k

तानाबाना - 9 एक तरफ तो सतघरे में गाँव की बारह से सोलह साल की सभी लङकियों की शादी की तैयारियाँ जोर -शोर से चल रही थी , दूसरी ओर सतघरे की सुरक्षा के लिए शहर को जाती दोनो ...Read Moreपर पीतल के कोके वाले लम्बे - चौङे फाटक लगाए जा रहे थे । पहरेदारी के लिए युवकों की टीमें बनी । जगह जगह गतका और लाठी चलाना सीखने वाले अपना खून पसीना बहाते दिखाई देने लगे । कोई शहर जाता तो वहाँ से आसपास की खबरें साथ चली आती । लोग पहले ही डरे होते

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तानाबाना -10

  • 433

  • 1.1k

lतानाबाना 10 अभी तक आप पढ रहे थे , मंगला अल्पायु में ही विधवा हो गयी । दो बेटियों के साथ जीवन थोङा पटरी पर आया था कि देश आजाद हो गया । इस आजादी की हमें बहुत ...Read Moreकीमत चुकानी पङी । राजनैतिक ,आर्थिक,सामाजिक हर मोर्चे पर लेकिन इससे भी ज्यादा व्यक्तिगत । देश दो भागों में बँट गया । साथ ही शुरु हुआ पलायन जिसका बायोप्रोडक्ट थे साम्प्रदायिक दंगे । भीषण मार-काट मची थी । लोग मर रहे थे । लोग मार रहे थे । अब आगे .... जमना ने दही बिलोने के लिए मधानी डाली

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तानाबाना - 11

  • 332

  • 1k

तानाबाना 11 आखिर यह दिन जैसे तैसे बीत गया । जो गुंधा आटा और दही वे साथ ले आए थे , रात को उसी को जैसे तैसे लकङियां इकट्ठी करके सेका गया । भूखे बच्चों के हिस्से एक ...Read Moreरोटी ही आई । वह भी किसी के गले लहीं उतरी । उतरती कैसे , न चकला न बेलन न तवा न कोई दाल सब्जी । यहाँ तक कि नमक की डली भी नहीं । कहाँ सारा परिवार दूध , मक्खन का आदी था , यहाँ रोटी भी दुर्लभ हो गयी । किसी परिवार के पास थोङा गुङ था

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तानाबाना - 12

  • 306

  • 1k

तानाबाना 12 मंगला की सहारनपुर वाली यह जिठानी उर्फ अफ्रीका वाली याऩी पार्बती यानी अम्माजी । वे मेरी पड़नानी की जेठानी थी। सामान्य मंझोला कद । दुबला पतला शरीर । कुछ कुछ सांवला रंग , चेहरा साधारण सिवाए बड़ी ...Read Moreआँखों के । आधे सफेद , आधे काले बाल कुल मिला कर एक सामान्य भारतीय महिला पर इसके बावजूद कुछ तो था जो उन्हें भीड़ से अलग बनाता था ।उनके चेहरे पर एक अलौकिक तेज था जो देखने वाले को अभिभूत कर देता । एकदम रिन की चमकार वाली सफेद साड़ी , पफ वाली बाहों और बन्द गले का

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तानाबाना - 13

  • 321

  • 942

तानाबाना 13 अफ्रीकावाली इन ताई जी ने विभाजन से बिखरे इस परिवार को सिर माथे लिया । कुल मिला कर परिवार में पच्चीस लोग थे । उनके लिए हवेली के तीन कमरे खोल दिए गये । खाने पीने ...Read Moreपूरी व्यवस्था की गयी । परिवार के पास अपनी कहने को छत हो गयी । अगले दिन चंद्र और जमना परिवार को यहीं छोङ अबोहर जमीन का कब्जा लेने गये । दो चार दिन की भाग दौङ के बाद उन्हें जमीन का कब्जा मिल गया जिसे किसी को खेती के लिए दे ये लौट आए और रुङकी के पास

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तानाबाना - 14

  • 306

  • 1.3k

तानाबाना 14 प्रसन्नमन से घर लौटे प्रीतम ने जब यह खुशखबरी घर आ बाकी परिवार के लोगों को दी तो हर तरफ खुशियाँ छा गयी । औरतों ने आटा भून कर कसार बनाई । पितरों को भोग लगाया ...Read Moreअङोस पङोस में सबका मुँह मीठा कराया । दो महीनों में से एक दिन तो रास्ते में ही टूट गया । बाकी रहे गिनती के उनसठ दिन । बेशक हाथ तंग है पर कुछ तो करना ही पङना है सो परिवार तुरंत तैयारी में लग गया ।इधर मुकुंद ने समधियों से विवाह की तारीख तो पक्की कर ली पर

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तानाबाना - 15

  • 252

  • 957

तानाबाना 15 रवि की जब सगाई हुई , तब वह मुश्किल से पंद्रह साल का था और उसकी मंगेतर बारह या तेरह की रही होगी । यह विभाजन वाली आँधी न चलती तो दो तीन साल पहले ही ...Read Moreऔर गौना निबट जाता । पर आजादी का आना तो किसी मुसीबत से कम न था , दंगो फसादों में लुटे - पिटे लाखों करोङो लोग भूख , गरीबी बेरोजगारी और बीमारियों से जूझ रहे थे । अपनी जन्मभूमि से बिछुङे लोग गहरे अवसाद के शिकार हो गए थे । महंगाई अलग जी का जंजाल बन गयी थी ।

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तानाबाना - 16

  • 210

  • 657

तानाबाना 16 तब सहारनपुर के लिए एक ही गाङी जाती थी । फिरोजपुर से तीन बजे चलती , वाया फरीदकोट , बठिंडा , पटियाला , अंबाला होती हुई सुबह पाँच बजे सहारनपुर पहुँचती । वहाँ सामने एक ...Read Moreगाङी तैयार खङी रहती । सवारियाँ अपनी अपनी गठरी संभालती भाग कर उस पर सवार हो जाती और गंगा मैया की जय , शिव शंभु की जय ,बम बोले की जय से स्टेशन गूँज उठता । इस गाङी में आधे लोग अपने किसी स्वजन की अस्थियाँ लाल थैली या मटकी में लिए गंगा में विसर्जित कर उन्हें मोक्ष दिलाने

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तानाबाना - 17

  • 240

  • 726

तानाबाना 17 अब बताओ बहनजी हुआ क्या है सास ने तुम्हारी सेवा की या तुमने सास की धर्मशीला की आँखों में बङी देर से रोके हुए दो मोती प्रकट हो गये । भाभी ने कमर पर हाथ ...Read Moreदिलासा दिया तो एक बार फिर उसकी रुलाई फूट पङी । भाभी जितना चुप कराती , उतना गंगा जमना हर हर करती । सुबकते सुबकते उसने बताया – भाभी वहाँ रोज माँस पकता है ।भाभी धम से जमीन पर बैठ गयी - हे भगवान । बीबी फिर । तू पाँच दिन भूखी प्यासी बैठी रही । खाया पीया नहीं

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तानाबाना - 18

  • 192

  • 732

तानाबाना 18 पाकिस्तान से पलायन से उपजी निराशा ने इस दम्पति को अभी तक अपनी गिरफ्त में कस कर जकङ रखा था । रवि एकदम वितरागी हो गया था , जङभरत । कोई उठा देता तो उठ ...Read More, खिला देता तो खा लेता , कपङे निकाल कर हाथ में पकङा देता तो नहाने चल देता और बाजार के सौदे की परची थमा दी जाती तो ताश खेलते लोगों के सिरहाने जा खङा हो खेल देख रहा होता । अक्सर परची खो जाती । रात को सोता तो डर कर चीखता हुआ उठ बैठता । हाथ में

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तानाबाना - 19

  • 207

  • 870

तानाबाना 19 नियत समय पर रेलगाङी ने सीटी बजाई और धुँआ उगलती हुई पटरियों पर दौङने लगी । इधर इन दोनों के मन के घोङे सरपट भाग रहे थे , उधर छुक छुक करती रेलगाङी । कोई स्टेशन ...Read Moreतो झटके से गाङी रुकती , इधर इनकी सोच के अश्व थमते । कैसे जाएंगे , घरवालों को क्या कहेंगे , रोटी का जुगाङ कैसे होगा , चाचा ने चाची की कितनी धुनाई की होगी , उनके घर पहुँचने से पहले अगर चाचा – चाची वहाँ सहारनपुर पहुँचे हुए तो । सौ तरह के सवालों से उलझते सुलझते रात

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तानाबाना - 20

  • 192

  • 573

तानाबाना – 20 चिट्ठी मिलते ही परिवार में खुशी की लहर दौङ गयी । अंदाजा तो पहले से था पर इस चिट्ठी ने पुष्टि कर दी । चलो दोनों सहीसलामत हैं ।पर अब आगे क्या । अंत में ...Read Moreकिया गया कि जैसे भी हो , परिवार के बेटा – बहु हैं , सही सलामती की चिट्ठी भेज दी , ये क्या छोटी बात है । सबसे बङी खबर ये कि अब बेटा जिम्मेदार हो गया है । घर गृहस्थी की जिम्मेदारी समझने लगा है । कमा कर खाने लग गया है । मिलने चलते हैं , अगर

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तानाबाना - 21

  • 189

  • 564

तानाबाना 21 इसी उदासी भरे माहौल में पाँच महीने बीत गए और एक दिन सुबह सोकर उठी धम्मो को अहसास हुआ कि वह फिर से माँ बनने वाली है । अम्मा जवाई की फिर से बुलाहट हुई ...Read Moreउसने खबर की पुष्टि कर दी तो घर में खुशियाँ लौट आई । पर अब धम्मो बहुत कमजोर हो गयी थी । ऊपर से उसके पैरों और चेहरे पर सूजन आ गयी । पैर मन मन के हो गये । टाँगे मानो बेजान हो गयी । खङी होती तो चक्कर आने लगते । चेहरे पर झांईयाँ हो गई ।

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तानाबाना - 22

  • 144

  • 669

तानाबाना – 22 अभी तक आप पढ रहे थे , मंगला और दुरगी की साहस, दृढता और सतीत्व की दास्तांन , अब बात कर रहे थे धम्मो यानी धर्मशीला कि जो धेवती है मंगला की , बेटी सुरसती ...Read Moreऔर बहु दुरगी की तो इन सबके गुण लेकर आगे बढी धर्मशीला । तेरह साल की अबोध उम्र में विभाजन का दर्द झेला , बारह साल की नासमझी में सगाई हो गयी । पंद्रह साल की हुई तो शादी के बंधन में बंध गयी । बीस साल की उम्र तक पहुँचते पहुँचते दो गर्भपातों का दंश झेलना पङा ।

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तानाबाना - 23

  • 153

  • 645

तानाबाना 23 फरीदकोट के उस एक कमरे के घर में बरकतें आने लगी थी । सामने की दीवार पर एक नीम का तखता दो कीलों के सहारे टिकाया गया । उस पर कोरे लट्ठे के कपङे पर गहरे ...Read Moreऔर हल्के गुलाबी रंग के धाने से शेड के गुलाब के फूल निकाल , डी एम सी के धागे से क्रोशिया की लेस लगा कर सुंदर कार्निश सजाई गयी थी । उस पर चार थाल दीवार के सहारे सीधे खङे किए गए । उन थालों के आगे छ गिलास उल्टे टिकाए गये और हर गिलास पर एक कटोरी और

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तानाबाना - 24

  • 159

  • 612

तानाबाना – 24 हर की पौङी के घाट पर ही कुछ पल यादें साझा कर खन्नी चाची और खन्ना चाचा तो चले गये पर इन सबको यादों के गहरे समंदर में गोते लगाने के लिए छोङ गये । ...Read Moreअपने पाकपटन के घर , मंदिर, गली और उस गली के दोस्तों की यादों में खो गया जिनके साथ उसका बचपन बीता था और जवानी आने से पहले ही सब का सब छूट गया । मंगला को अपना सतघरा याद आया तो उसकी आँखें गीली हो गयी । सुरसती अलग बैठी अपनी रुलाई रोकने की असफल कोशिश कर रही

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तानाबाना - 25

  • 150

  • 546

तानाबाना – 25 फरीदकोट लौटने के बाद के कई दिन उसी यात्रा के खुमार में बीते । दोनों पति – पत्नि आपस में इस सफर की छोटी से ठोटी बातें याद करते । धर्मशीला की सहेलियाँ जब तब ...Read Moreके घाटों की बात पूछती , गंगा की लहरों के बारे में जानना चाहती । वहाँ के मंदिरों की बातें करती । संध्या आरती की एक एक बात । वहाँ के हाट बाजारों की बातें । कचौरी और रबङी की बातें । जो चूङियाँ और मालाएँ वह इन लङकियों के लिए खरीदकर लाई थी . उनकी बातें । बातें

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तानाबाना - 26

  • 141

  • 534

तानाबाना – 26 धर्मशीला एक ओर बहुत खुश थी कि वह माँ बनने वाली थी , दूसरी ओर बेहद डरी - सहमी और घबराई रहती । पता नहीं इस बार क्या होगा । यह बच्चा दुनिया देख पाएगा ...Read Moreपहले की तरह ... । फिर वह खुद ही अपनेआप को कई कई लानतें डालती हुई इस सोच को झटक डालती , नहीं - नहीं इस बार ऐसा कुछ नहीं होगा । वह ठाकुरजी से इस सोच के लिए सौ सौ माफियाँ माँगती – हे ठाकुर जी , माफ कर देना । गलती हो गयी । इस नन्हीं सी

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तानाबाना - 27

  • 162

  • 723

तानाबाना – 27 गर्मी के दिन थे । जलता तपता जेठ का महीना । मई खत्म हो चुकी थी और जून की आमद हो रही थी । गरमी , उसका हाल न ही पूछा जाए तो अच्छा है । ...Read Moreसवेरे जैसे ही सूरज अपनी चारपाई छोङ धरती की सैर को निकलता , उसका चेहरा तमतमा जाता । गाल लाल सुर्ख हो उठते । जला डालता सामने आती हर चीज को । उसे तपता देख धरती भी तपने लगती । लोग काम के लिए निकलने को होते कि ये सूरज देवता सिर पर सवार हो जाते । लोग अपना

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तानाबाना - 28

  • 123

  • 420

तानाबाना – 28 दिन निकलने के साथ अस्पताल में धीरे धीरे चहल पहल शुरु हो गयी थी । साफ सफाई करनेवाले कर्मचारी आ गये थे । इक्का दुक्का मरीज भी दीखने लगे थे । रवि एक कोने में ...Read Moreथा । उसका दिल बुरी तरह से धङक रहा था । घबराहट के मारे बुरा हाल था । लेबर रूम में धर्मशीला जितनी जद्दोजद कर रही थी , उतनी ही जद्दोजद इस समय उसके दिमाग में चल रही थी । वह बरामदे में इधर उधर टहल रहा था । मन ही मन सभी देवी देवताओं का स्मरण कर रहा

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तानाबाना - 29 - अंतिम भाग

  • 147

  • 579

तानाबाना – 29( ... यह अंत नहीं है ) उस दिन पूरा दिन रवि का काम में मन न लगा । वह बार बार धूप का परछावां देख समय का अनुमान लगाने की कोशिश करता । एक बार ...Read Moreघङी पहने आदमी से समय पूछ भी लिया पर उस समय तक सिर्फ दो ही बजे थे । अभी तीन घंटे बाकी थे । इतना लंबा समय । वह सोचकर ही परेशान हो गया । उसे यूं परेशान देखकर आखिर उसके साथी ने पूछ ही लिया – “ क्या बात बाबू ? आज बहुत बेचैन दिखाई दे रहे हो

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