सुलझे...अनसुलझे - 7

  • 5.7k
  • 1
  • 1.5k

सुलझे...अनसुलझे ज़िंदा सूत्र ------------ आज सवेरे से ही मेरे मोबाइल पर एक ही फ़ोन नंबर से बराबर फोन आ रहा था| कई बार रिंग आने से मुझे आने वाले फ़ोन के लिए चिंता भी होने लगी थी| सिग्नल पूरे नही होने की वज़ह से आवाज़ नही आ रही थी| फ़ोन करने वाला बराबर मुझ से संपर्क साधने की कोशिश में, लगातार फ़ोन लगा रहा था। वापस उसी नंबर से घंटी बजते ही मैंने तुरंत ही अपना मोबाइल उठाया तो पीछे से आवाज़ आई - ‘आप मिसेस गुप्ता बोल रही हैं’... मेरे हाँ कहते ही वह बोली - ‘भोर बोल रही