बात बस इतनी सी थी - 32

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बात बस इतनी सी थी 32. पूरा एक महीना बीतने के बाद जब मैं लखनऊ से लौटकर पटना के ऑफिस पहुँचा, तब मैंने मेरा स्वागत करने के लिए मंजरी सहित मेरे कई सहकर्मियों को हाथों में फूल मालाएँ और बुके लेकर मेन गेट पर एक साथ खड़े पाया । यूँ तो अबसे पहले भी मैं एक-एक दो-दो महीने के लिए कंपनी की ओर से आउट ऑफ स्टेशन जाता रहता था, लेकिन मेरा ऐसा स्वागत पहली बार हो रहा था । मेरा अनुमान था कि यह सब मंजरी के कहने पर हुआ था । शायद उसने मुझे इस दौरान काफी मिस