उपन्यास हमारा शहर उस बरस - गीतांजलि श्री

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साम्प्रदायिक विद्वेश का कच्चा चिटठा -हमारा शहर उस बरस राजनारायण बोहरे गीतांजलि श्री हिंदी की उन लेखिकाओं में से हैं जो कम लिखने के बाद भी खूब चर्चित हैं। इस चर्चा का कारण उनकी रचनाएं हैं , जो संवेदना की गहरी धार को चीन्हने और मनोवैज्ञानिक उथल पुथल को भाशा की ताजगी के जरिए पाठक तक आयी हैं वैसे वे ज्वलंत विषय तथा एक अनूठे अंदाज में लिखी जाने वाली रचनाओं से भी पहचानी गई हैं। उनका उपन्यास ‘‘हमारा शहर उस बरस‘‘ एक वृहद विश्लेषणपरख ग्रंथ बनकर प्रकाशित हुआ है । इस उपन्यास की कथा सेक्युलर सोच के तीन युवा