नई चेतना - 29

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सुबह तड़के ही अमर की नींद खुल गयी थी। हालाँकि गुलाबी ठण्ड की वजह से बीच बीच में वैसे भी उसकी नींद उचटती रही थी। फिर भी काफी हद तक उसकी नींद पूरी हो गयी थी। अस्पताल से निकल कर रात हो जाने की वजह से उसने विलासपुर छोड़ना उचित नहीं समझा था। सुबह उठकर आगे के बारे में सोचा जायेगा। यही तय कर भोजन करके वहीँ बस स्टैंड पर ही सो गया था। नींद खुल जाने के बाद अमर वहीँ बस स्टैंड में ही दैनिक दिनचर्या से निबट कर हाथ मुंह धोकर चाय वाले की दुकान पर जा पहुंचा।