शिगाफ़- मनीषा कुलश्रेष्ठ

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स्मृतियों के धुंधलके सायों को जब कभी अपने ज़हन में मैं बिना किसी पदचाप के उमड़ते घुमड़ते देखता हूँ तो अक्सर पाता हूँ कि कश्मीर की यादें...वहाँ की हर चीज़..हर बात, पहले ही की तरह अपने पूरे जोशोखरोश, उन्माद और सम्मोहन के साथ तरोताज़ा हो...मेरे मानसपटल पर फिर से छा रही है। जी!...हाँ, वही कश्मीर, जो कभी बॉलीवुड की पुरानी फिल्मों में पूरी शिद्दत के साथ अपने रूमानी अंदाज़ में दिखाई देता था। वही कश्मीर, जिसे बाद में संजय दत्त की फ़िल्म 'लम्हा', जिसमें काफ़ी हद तक प्रमाणिकता के साथ यतार्थ दिखाया गया। वो कश्मीर जो कभी धरती का स्वर्ग कहलाता