दिल है छोटा सा- रणविजय

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जहाँ एक तरफ कुछ कहानियों को पढ़ते वक्त हम उसके किरदारों से भावनात्मक तौर पर खुद को इस तरह जोड़ लेते हैं कि उसके सुख..उसकी खुशी को अपना समझ खुद भी चैन और सुकून से भर उठते हैं। तो वहीं दूसरी तरफ कुछ कहानियॉ मन को उद्वेलित करते हुए हमें इस कदर भीतर तक छू जाती हैं कि हम किरदार की पीड़ा..उसके दुःख दर्द को अपना समझ..उसी की तरह चिंतायुक्त हो..उसी बारे में सोचने को मजबूर होने लगते हैं। अमूमन एक किताब में एक ही कलेवर की रचनाएँ पायी जाती हैं लेकिन कई बार एक ही पैकेज में कई कई रंग