चार्ली चैप्लिन - मेरी आत्मकथा - 20

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चार्ली चैप्लिन मेरी आत्मकथा अनुवाद सूरज प्रकाश 20 ये सब इतना खुला-खुला और सहज रहा...कोई साहित्य नहीं, कोई लेखक नहीं, हम सब मिल कर एक विचार का ताना बाना बुनते, उसके आस-पास हँसी ठिठोली की बातें बांधते और जैसे-जैसे आगे बढ़ते जाते, कहानी आकार लेने लगती। उदाहरण के लिए, हिज प्रीहिस्टारिक पास्ट में मैंने हँसी की एक ही बात से शुरू किया और वह मेरी पहली एंट्री से थी। मैं खाल लपेट के एक प्रागैतिहासिक आदमी के रूप में एंट्री लेता हूँ और जैसे-जैसे मैं लैंडस्केप को देखता परखता हूँ, मैं अपना पाइप भरने के लिए ओढ़ी हुई भालू की