रहस्यमयी टापू--भाग (११)

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रहस्यमयी टापू--भाग (११) शाकंभरी पेड़ के मोटे तने से जैसे ही बाहर निकली,इतने घुप्प अंधेरे में जंगल में रोशनी ही रोशनी फैल गई,उस नजारे को देखकर ऐसा लग रहा था कि हजारों-करोड़ो जुगनू जगमगा रहे हो।। रोशनी को देखकर सबकी आंखें चौंधिया रही थीं, शाकंभरी की रोशनी से सारा जंगल जगमगा रहा था, थोड़ी देर में शाकंभरी ने खुद को एक लबादे से ढक लिया, ताकि उसकी रोशनी छिप जाए,अब केवल उसका चेहरा ही दिख रहा था।। फिर बोली, मेरे पंख शंखनाद ने चुरा लिए है इसलिए मैं आपकी मदद नहीं कर सकतीं, क्योंकि मेरी सारी शक्तियां उन्हीं