रत्नावली 2

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रत्नावली रामगोपाल भावुक दो आज स्वामी को गये कितने दिन हो गये! उन्होंने मेरी तो मेरी, मुन्ना की भी सुध नहीं ली। ऐसा भी निर्मोही कोई होता है। सोचते होंगे, आप मेरे पास नहीं हैं तो क्या हुआ ? मुन्ना तो है। नारी एक ऐसी लता है जो दरख्त के सहारे ही ऊपर चढती है, नहीं तो धरती पर ही लोटती रहती है। हम नारियों को इस तरह निर्बल नहीं बनना चाहिए कि बिना सहारे के पग भी न चल सकें। बचपन में मॉँ बाप के सहारे ,युवावस्था में पति के सहारे और वृद्धावस्था में पुत्र