रत्नावली 15

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रत्नावलीरामगोपाल भावुक पदह रत्नावली जैसे ही चटाई डालकर लेटीं, सोमवती के बाद मिलने के काल्पनिक विम्ब मन ही मन बनाने-मिटाने लगीं। यों ही सोचते-सोचते थकावट के कारण पता नहीं कब नींद लग गयी ? सोमवती के दिन घाट पर बहुत अधिक भीड़ थी। ये लोग भी भीड़ के कारण दिन निकलने तक निवृत हो पाये। कामतानाथ के दर्शन करने जाना ही था। वे राम घाट से निकल कर नाले को पार करते हुये गाड़ी की गड़वात के रास्ते से चलते हुये कामदगिरि पर्वत के मुखारविन्द पर जा पहंचे। वहॉं भगवान कामतानाथ की मूर्ति के उन्होंने भक्ति भाव से दर्शन किये।