इंसानियत - एक धर्म - 13

  • 5.3k
  • 1.7k

राखी पता नहीं कितनी देर तक यूँ ही बैठी रही और दिमाग के हवाई घोड़े दौड़ाती रही लेकिन उसे कोई संतोषजनक जवाब सूझ नहीं रहा था कि आखिर राजन अंकल असलम को कैसे बचा लेंगे ? तनाव की अधिकता से उसके सिर में दर्द शुरू हो गया । तब उसे ध्यान आया कि उसने तो अभी तक मुंह भी नहीं धोया था फिर चाय नाश्ता तो बहुत दुर की बात होती । अब उसे एक बार फिर रमेश की चिंता सताने लगी थी । हड़बड़ी में उठकर वह सघन चिकित्सा कक्ष में पहुंची लेकिन वहां रमेश को न पाकर वह चिंतित हो गयी