चार्ली चैप्लिन - मेरी आत्मकथा - 25

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चार्ली चैप्लिन मेरी आत्मकथा अनुवाद सूरज प्रकाश 25 आखिरकार उन्होंने कहा,"हम चलें डिनर के लिए चलें?" मेरी हैरानी का ठिकाना न रहा जब मैंने डाइनिंग हॉल में पाया कि वहां पर सिर्फ हम दो ही थे। आकर्षक होने के अलावा मिस फीली बेहद अलग थलग रहने वाली महिला थीं। मेज़ के पार उनकी तरफ देखते हुए मैं इस बात को ले कर हैरान होता रहा कि इस तरह की मुलाकात का मकसद क्या हो सकता है। मेरे दिमाग में शरारतपूर्ण और गंदे ख्याल आने लगे लेकिन ऐसा लगा कि वे मेरी अशोभनीय अटकलों पर उनका कोई ध्यान नहीं था। इसके