फिर मैं क्यों नहीं

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प्रिय डायरीयह वर्ष भी धीरे धीरे अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंच रहा है। मेरी प्यारी डायरी, तुम मेरी सबसे अच्छी सखी हो और मेरे जीवन सुख-दुख की साझीदार। फिर भी आज मैं तुम्हारे साथ इस वर्ष से जुड़े अपने जीवन के उन खास अनुभवों को साझा कर रही हूं, जिन्होंने मेरे जीवन में सकारात्मकता का संचार कर उसे एक नई दिशा दी।वैसे यह तो तुम्हें भी पता है कि हम रोज दूसरों के नाम संदेश भेजते हैं। उनकी तारीफों में कसीदे पढ़ते हैं लेकिन कभी आईने में खुद को देख कर अपने लिए शायद ही तारीफ के दो शब्द भी