तानाबाना - 29 - अंतिम भाग

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तानाबाना – 29( ... यह अंत नहीं है ) उस दिन पूरा दिन रवि का काम में मन न लगा । वह बार बार धूप का परछावां देख समय का अनुमान लगाने की कोशिश करता । एक बार किसी घङी पहने आदमी से समय पूछ भी लिया पर उस समय तक सिर्फ दो ही बजे थे । अभी तीन घंटे बाकी थे । इतना लंबा समय । वह सोचकर ही परेशान हो गया । उसे यूं परेशान देखकर आखिर उसके साथी ने पूछ ही लिया – “ क्या बात बाबू ? आज बहुत बेचैन दिखाई दे रहे हो