डायरी ::कल्पना से परे जादू का सच - 9

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9 ''तुम ! तुम! तारुश तुम यहाँ कैसे ? बाकि सब कहाँ हैं ?'' यास्मिन ने हैरान होकर पूछा । सब लोग जंगल से निकल गए। तारुश ने ज़वाब दिया । ''तुम नही गए ? तुम्हें अपनी जान प्यारी नहीं हैं?'' यास्मिन ने उसकी आँखों में देखकर सवाल किया । ''ज़िन्दगी प्यारी है। मगर तुम्हें इस तरह अकेले छोड़ने का मन नहीं किया।'' तारुश ने बड़े ही प्यार से ज़वाब दिया। ''चलो, डायरी ढूँढते हैं। दादाजी ने एक संदूक लाने के लिए कहा था। यास्मिन यह कहकर उसकी खोज में जुट गई। तारुश भी उसकी मदद करने लगा। और ड्रैगन