Diary by Swatigrover | Read Hindi Best Novels and Download PDF Home Novels Hindi Novels डायरी ::कल्पना से परे जादू का सच - Novels Novels डायरी ::कल्पना से परे जादू का सच - Novels by Swatigrover in Hindi Novel Episodes (56) 1.7k 4.2k यास्मिन ने देखा कि उसके चारों ओर बहुत डरावने चेहरे हैं । सभी लाल-काल-पीले मुँह वाले लोग उसकी तरफ बढ़ रहें हैं और उसके आसपास घेरा-सा बनता जा रहा हैं। वह ज़ोर से चिल्लाई बचाओं!!!! तभी स्पीड ब्रेकर आया ...Read Moreउसकी आँख खुल गयी, उसने पानी पिया और फिर नज़र घुमाकर देखा तो कोई बस की खिड़की से बाहर देख रहा है, किसी के कानों में हेडफ़ोन लगे थें तो कोई बतियाने में, कोई सोने में मस्त था और बस की सबसे पीछे वाली सीट पर एक ग्रुप बैठकर खूब हँसी-मज़ाक कर रहा था । उसे थोड़ी राहत महसूस हुई कि वह सिर्फ एक सपना देख रही थीं, आज से पहले ऐसा डरावना सपना उसने कभी नही देखा था। खिड़की से बाहर देखा तो बस अब भीड़-भार वाली सड़क से निकल सुनसान रास्ते की और बढ़ती जा रही थीं। दाएँ-बाएँ घना जंगल और बीचों-बीच रास्ते पर चलती हुई बस । "पता नहीं कब आएँगी मेरी मंज़िल? देश का एक कोना और उस कोने में एक छोटा सा गॉंव। गॉंव ख़त्म होते ही दूसरे देश का बॉर्डर शुरू हो जाएगा । मुझे सिर्फ उस गॉंव में पहुँचना है। अब नींद नही आएँगी। एक बार सोकर देख लिया, ऐसा लग रहा है कि अब भी डरावने चेहरे उसे घूर रहे हों। उसने ध्यान हटाने के लिए खिड़की के बाहर की तस्वीरें अपने फ़ोन से खींचनी शुरू कर दी। Read Full Story Download on Mobile Full Novel डायरी ::कल्पना से परे जादू का सच - 1 438 843 1 यास्मिन ने देखा कि उसके चारों ओर बहुत डरावने चेहरे हैं । सभी लाल-काल-पीले मुँह वाले लोग उसकी तरफ बढ़ रहें हैं और उसके आसपास घेरा-सा बनता जा रहा हैं। वह ज़ोर से चिल्लाई बचाओं!!!! तभी स्पीड ब्रेकर ...Read Moreऔर उसकी आँख खुल गयी, उसने पानी पिया और फिर नज़र घुमाकर देखा तो कोई बस की खिड़की से बाहर देख रहा है, किसी के कानों में हेडफ़ोन लगे थें तो कोई बतियाने में, कोई सोने में मस्त था और बस की सबसे पीछे वाली सीट पर एक ग्रुप बैठकर खूब हँसी-मज़ाक कर रहा था । उसे थोड़ी राहत महसूस Read डायरी ::कल्पना से परे जादू का सच - 2 315 579 2 ढाबे पर पहले ही हल्ला मचा हुआ था, लोग चिल्ला रहे थें कि अभी तक ड्राइवर नहीं आया था और देर हो रही थीं । "सुनो ! वहाँ जंगल में तारुश! तारुश! ऋचा के मुँह से आवाज़ नहीं ...Read Moreरही थीं। "अरे ! आराम से बताओ, क्या हुआ"? गौरव ने ऋचा को सँभालते हुए पूछा। इससे पहले वो कुछ बताती। तारुश आता दिखाई दिया । "तुम कहाँ रह गए थें, यार ! "आ ही रहा था, जब तुम दोनों को पेड़ के पास नहीं देखा तो यहाँ आ गया ।" तारुश ने ज़वाब दिया । "तुमने कोई चीखें सुनी Read डायरी ::कल्पना से परे जादू का सच - 3 267 594 3 जब सब भागने लगे तो कोई रास्ता न देखकर जंगल में ही घुस गए और बेतहाशा भागते रहें उनका सामान भी वहीं रास्ते में छूट गया। तारुश ने यास्मिन का हाथ पकड़ रखा था, वो दोनों ही सबसे ...Read Moreथें। जब भागते- भगते थक गए । तभी पीछे मुड़कर देखने पर उन्हें कोई नहीं दिखा। सबको थोड़ी राहत आई, थोड़ी देर वही पेड़ के नीचे बैठ गए । "यार ! अब क्या करें? यह शेर कहाँ से आ गया था, यह तो हमारी जान ही ले लेता।" पुनीत ने थके हुए स्वर में कहा । "क्या कर सकते हैं? Read डायरी ::कल्पना से परे जादू का सच - 4 165 396 4 "ऑलिव मुझे यहाँ से लोगों की बोलने की आवाज़ सुनाई दे रही थीं । कोई है, जो तुम्हारे पास था ?" राक्षसी ने पूछा। नहीं, तुम्हारे कान बज रहे होंगे, यहाँ कोई नहीं है। ऑलिव का ज़वाब था ...Read Moreराक्षसी सचमुच बेहद डरावनी लम्बे दांत और लम्बी पूँछ वाली थीं । उसने मुँह से एक फुँकार लगाई और कहा कि मेरे कान यूँ नहीं बज रहे यहाँ जो मेहमान आया है उसका पता मुझे चल ही जाएगा ।" इतना कहकर राक्षसी गायब हो गई और सभी बाहर आ ऑलिव से बातें करने लगे । "तुम उसी राजा की बेटी Read डायरी ::कल्पना से परे जादू का सच - 5 150 450 5 सबने उनकी बातें ध्यान से सुननी शरू कर दी। "हम जिस लड़की को डरा कर आये थें न, वह इस जंगल में फँस गई हैं।" "एक बार हमारे सरताज़ लनबा को वो शक्ति मिल जाएँ फिर वो पूरी ...Read Moreके शहंशाह बन जायेंगे ।"पहले ने दूसरे को कहा। अब हमारा सोने का वक़्त हैं । यह कहकर सुस्ताने चले गए। "यह किस लड़की की बात कर रहें थें ?" ऋचा ने पूछा। " मुझे क्या पता?" तारुश ने ज़वाब दिया । यास्मिन को महसूस हुआ कि शायद ये मेरी बात कर रहें हैं, पर यह मेरे पीछे क्यों पड़े Read डायरी ::कल्पना से परे जादू का सच - 6 123 333 6 सब उस शीशे में देखकर हैरान हो रहे थें, गौरव एक पेड़ पर बैठा हुआ था और अब उल्लू बन चुका था । जो फल उसने खाया था, वह फल सिर्फ उल्लू खाते थें। हाय ! मेरा गौरव ...Read Moreवो कभी ठीक हो सकेगा।" नितिशा ने मायूस होकर पूछा तो नेयसी के पास इसका कोई ज़वाब नहीं था । "नाटे राक्षस किस लड़की की बात कर रहे थें ? क्या हम जानबूझकर इस जंगल में फँसाया गया हैं?" तारुश के सवाल बढ़ते जा रहे थें और सब ख़ामोशी से सुन रहे थें। तभी नेयसी ने डंडा फिर घुमाया और Read डायरी ::कल्पना से परे जादू का सच - 7 111 315 7 तभी उसे लगा यह कोई भ्रम है या कोई माया जाल होगा। उसे पेड़ की बात याद आई और वो वह वहाँ नहीं रुकी। तभी उन रशियन कपल ने उसका पीछा करना शुरू कर दिया । उसके कदम ...Read Moreतेज़ हो गए और फ़िर वो भागने लगी । तभी उसके सामने एक बड़ा पक्षी आ गया, वह संभल न सकी और धड़ाम से गिर गई । "तुम ठीक हों ?" "कौन" यास्मिन ने पूछा । "मैं गौरव" पक्षी ने उत्तर दिया। "गौरव तुम यहाँ? मुझे अफ़सोस है कि तुम उल्लू बन गए, यास्मिन ने उसे देखते हुए कहा। 'मैंने Read डायरी ::कल्पना से परे जादू का सच - 8 60 258 8 रास्ते में उसने ड्रैगन को देखा जो बिलकुल उसके साथ कदम से कदम से मिलाकर चल रहा था तभी उसे महसूस हुआ कि उसकी चाल किसी राजसी आदमी जैसी हैं । तभी उसे याद आया कि हो सकता ...Read Moreयह वहीं फिलिप हों इसका जिक्र ऑलिव ने किया था, उसका मंगेतर । उसने परखने के लिए बोलना शुरू किया, "आज मैं ऐसे-ऐसे लोगों से मिली कि मुझे लग रहा है कि मैं कोई सपना देख रही हूँ। बटरफ्लाई, रोस्टन, बरगद राजा और ऑलिव से भी मिली कितनी सुन्दर और प्यारी है। जिसे इस दुष्टों ने ज़हरली नदी बना रखा Read डायरी ::कल्पना से परे जादू का सच - 9 231 9 ''तुम ! तुम! तारुश तुम यहाँ कैसे ? बाकि सब कहाँ हैं ?'' यास्मिन ने हैरान होकर पूछा । सब लोग जंगल से निकल गए। तारुश ने ज़वाब दिया । ''तुम नही गए ? तुम्हें अपनी जान प्यारी ...Read Moreहैं?'' यास्मिन ने उसकी आँखों में देखकर सवाल किया । ''ज़िन्दगी प्यारी है। मगर तुम्हें इस तरह अकेले छोड़ने का मन नहीं किया।'' तारुश ने बड़े ही प्यार से ज़वाब दिया। ''चलो, डायरी ढूँढते हैं। दादाजी ने एक संदूक लाने के लिए कहा था। यास्मिन यह कहकर उसकी खोज में जुट गई। तारुश भी उसकी मदद करने लगा। और ड्रैगन Read डायरी ::कल्पना से परे जादू का सच - 10 - अंतिम भाग 159 10 रास्ते में ड्रैगन ने यास्मिन को बताया कि ''शायद हमें इस लनबा से छुटकारा मिल जाएँ''। यास्मिन ने जब यह सुना तो वह खुश हो गई। मगर यह, होगा कैसे? यह सोचकर वह मायूस हो गई। तभी रास्ते ...Read Moreकिसी को बेहोश देख, सैनिक उसे उठाने लगे। यास्मिन ने देखा कि वह कोई और नहीं बल्कि तारुश था । "तारुश, तुम! तुम! क्यों मरना चाह रहे हों? ये लोग तुम्हें भी हमारे साथ मार देंगे। कितना अच्छा मौका मिला था, निकल जाते यहाँ से । यास्मिन ने धीरे से तारुश को कहा। मेरे सभी दोस्त मुश्किल में हैं और Read More Interesting Options Hindi Short Stories Hindi Spiritual Stories Hindi Novel Episodes Hindi Motivational Stories Hindi Classic Stories Hindi Children Stories Hindi Humour stories Hindi Magazine Hindi Poems Hindi Travel stories Hindi Women Focused Hindi Drama Hindi Love Stories Hindi Detective stories Hindi Social Stories Hindi Adventure Stories Hindi Human Science Hindi Philosophy Hindi Health Hindi Biography Hindi Cooking Recipe Hindi Letter Hindi Horror Stories Hindi Film Reviews Hindi Mythological Stories Hindi Book Reviews Hindi Thriller Hindi Science-Fiction Hindi Business Hindi Sports Hindi Animals Hindi Astrology Hindi Science Hindi Anything Swatigrover Follow