बेगम पुल की बेगम उर्फ़ - 2

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2--- वह एक ऐसा ही दिन था जैसा हर रोज़ उगता है, उसकी खिड़की के बाहर से झाँकता , उसे आवाज़ देता सूरज, न उठने पर उसे सौ-सौ लानतें-मलामतें भेज रहा था जैसे ! प्रबोध एक अनुशासित परिवार का, एक अनुशासित पिता का पुत्र ! बालपन से ही समय पर पिता की एक आवाज़ पर उठ बैठना, घर के सभी नियमों-कानूनों का पालन करना |लेकिन पता नहीं क्यों प्रबोध को कुछ अजीब सा लग रहा था वो दिन ! कुछ मन भारी व शरीर थका हुआ सा लेकिन कारण कुछ पता नहीं चल रहा था | न चाहते हुए भी