पृथ्वी के केंद्र तक का सफर - 25

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चैप्टर 25 गलियारे में कानाफूसी। आखिरकार जब मुझे होश आया तो मेरा चेहरा भीगा हुआ था, मैं समझ गया था कि ये आँसुओं से भीगें हैं। कितने देर तक मैं बेहोश था, ये कहना मेरे लिए मुश्किल था। मुझे किसी भी समय का ध्यान नहीं था। आजतक मैं ऐसे अकेलेपन में नहीं पड़ा था। यहाँ मैं पूरी तरह से परित्यक्त था।गिरने की वजह से मेरा खून बहुत बह गया था। ऐसा लगा जैसे मैंने किसी की ज़िंदगी बचाने के लिए खून बहाया हो। और ऐसा पहली बार हुआ था। मैं मरा क्यों नहीं? अगर मैं ज़िंदा हूँ, मतलब अभी कुछ