ये उन दिनों की बात है - 15

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और आंटी मेरी हेयर कटिंग में जुट गई | बार-बार पानी के छींटे चेहरे पर पड़ने से मेरी आँखें बंद हो रही थी | यूँ तो मम्मी ट्रिमिंग कर दिया करती थी पर पहली बार आगे से लटें बनवा रही थी मैं, जैसे फिल्मों में हीरोइन करवाती है | कैसी लगूँगी मैं ? अच्छी तो लगूँगी ना!! इन्ही विचारों में मेरा मन डूबा हुआ था | अपने विचारों से तब बाहर आई, जब आंटी ने कहा, "बेटा ज़रा एक बार शीशे में तो देखना" | और.....और........धीरे से अपनी आँखें खोली | जैसे ही शीशे में खुद को जब देखा, तो