इंसानियत - एक धर्म - 21

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असलम के कमरे में दाखिल होते ही रजिया कुर्सी से उठकर खड़ी हो गयी । जबकि असलम ने आते ही दरोगा पांडेय जी को आदतन सैलूट किया । मुस्कुरा कर उसका अभिवादन स्वीकार करते हुए पांडेयजी ने उसे कुर्सी पर बैठने का आग्रह किया । रजिया के उठकर खड़े होने से खाली हुई कुर्सी पर बैठते हुए असलम ने पांडेय जी को धन्यवाद अदा किया । बिना कुछ कहे पांडेय जी ने एक फाइल खोली और उसमें से कोई कागज निकालकर उसपर असलम से हस्ताक्षर करने के लिए कहा । असलम ने बिना कुछ कहे हस्ताक्षर कर दिया लेकिन रजिया की