इंसानियत - एक धर्म - 23

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घटनास्थल से फरार होकर मुनीर पैदल ही अपने गांव की तरफ चल दिया था जो वहां से तकरीबन सात आठ किलोमीटर दूर एक देहात में था । अपनी नौकरी के सिलसिले में वह रामपुर थाने के करीब ही एक कमरा किराये पर लेकर रहता था । कभी कभार छुट्टी मिलने पर अपने गांव हो आता । सितारों की मद्धिम रोशनी में चलते हुए कच्चे रास्ते पर कभी कभी ठोकर खाकर लड़खड़ाता और फिर संभलते हुए आगे बढ़ना जारी रखता । चलते चलते कभी कभार पिछे भी मुडकर देख लेता और फिर किसी के पीछे आने की शंका निर्मूल समझकर अपने