वाचा कट मानव

  • 5.3k
  • 1
  • 1.1k

कहानी वाचा कट मानव वेदराम प्रजापति मनमस्त सुबह की सैर कर, जब मैं वापिस आ रहा था तो पप्पू सेठ जी के दरवाजे पर भीड़ लगी दिखी। मेंरी भी इच्छा हूई भीड को देखने की और पैर मुड गये उसी ओर। मजमा काफी आश्चर्य चकित सा लग रहा था। वहां जाकर देखा तो दो नाथ बाबा पूजन-मूजन कर रहे थे। मेंरे मन ने धिक्कारा! क्या सोचकर इधर आये, खोदा पहाड़ और निकली चुहिया। तभी कुछ लोगों की काना-पॅूंसी ने मेंरा ध्यान उस ओर खींच लिया। मैंने पॅूछ ही लिया ऐसी कौनसी अजूबा बात है? तभी सेठ के लड़के