छुट-पुट अफसाने - 15

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एपिसोड - 15 एक खूबसूरत इमारत को देखकर अनायास ही उसके निर्माण करने वाले के लिए दिल से "वाह! " निकलती है। वहीं जिसने उसकी एक-एक ईंट को दूसरी ईंट से जुड़ कर उसे शानदार रूप लेते देखा हो, वह अपनी उपलब्धि पर संतुष्ट होने का गर्व तो कर ही सकता है न ! कुछ ऐसी ही भावनाएं उठती हैं, हमारी पीढ़ीगत लोगों को आज के युग की तस्वीर देखकर। हमारा ताल्लुक उस युग के लोगों से है, जो समाज, उसकी संस्कृति के, प्रौद्योगिकी के बदलते स्वरूप के चश्मदीद गवाह हैं। याद है न, हमारे समय में घर में गेहूं