OR

The Download Link has been successfully sent to your Mobile Number. Please Download the App.

Loading...

Your daily story limit is finished please upgrade your plan
Yes
Matrubharti
  • English
    • English
    • ગુજરાતી
    • हिंदी
    • मराठी
    • বাংলা
    • മലയാളം
    • తెలుగు
    • தமிழ்
  • Quotes
      • Trending Quotes
      • Short Videos
  • Books
      • Best Novels
      • New Released
      • Top Author
  • Videos
      • Motivational
      • Natak
      • Sangeet
      • Mushayra
      • Web Series
      • Short Film
  • Contest
  • Advertise
  • Subscription
  • Contact Us
Write Now
  • Log In
Artboard

To read all the chapters,
Please Sign In

Chhut-Put Afsane by Veena Vij | Read Hindi Best Novels and Download PDF

  1. Home
  2. Novels
  3. Hindi Novels
  4. छुट-पुट अफसाने - Novels
छुट-पुट अफसाने by Veena Vij in Hindi
Novels

छुट-पुट अफसाने - Novels

by Veena Vij in Hindi Novel Episodes

(39)
  • 4.5k

  • 12.6k

  • 1

वक़्त की ग़र्द में लिपटा काफ़ी कुछ छूट जाता है, अगर उसे याद का जामा पहना के बांध न लिया जाए। पिछली सदी में चालीस के दशक की बातें हैं, जब मैं कुछ महीनों की थी । पापा लाहौर ...Read Moreउस वक्त Glamour-World से जुड़े हुए थे । शायद तभी से वे बीज-तत्व मस्तिष्क में घर कर गए थे, जो मैंने आरम्भ से ही रंगमंच से नाता जोड़ लिया था । विभाजन की त्रासदी तो नहीं झेली थी, लेकिन सब कुछ पीछे छूट गया था, जिसे नियति वहां रहने पर रच रही थी ।

Read Full Story
Download on Mobile

छुट-पुट अफसाने - 1

  • 735

  • 1.4k

एपिसोड--१ वक़्त की ग़र्द में लिपटा काफ़ी कुछ छूट जाता है, अगर उसे याद का जामा पहना के बांध न लिया जाए। पिछली सदी में चालीस के दशक की बातें हैं, जब मैं कुछ महीनों की थी । पापा ...Read Moreमें उस वक्त Glamour-World से जुड़े हुए थे । शायद तभी से वे बीज-तत्व मस्तिष्क में घर कर गए थे, जो मैंने आरम्भ से ही रंगमंच से नाता जोड़ लिया था । विभाजन की त्रासदी तो नहीं झेली थी, लेकिन सब कुछ पीछे छूट गया था, जिसे नियति वहां रहने पर रच रही थी । वह जमाना स्टेज- शो का

  • equilizer Listen

  • Read

छुट-पुट अफसाने - 2

  • 297

  • 648

एपिसोड 2 अतीत से मुठभेड़ किए बिना, उन लम्हों की तलाश कहां हो सकती है - जो लम्हे ढेर सारे अफसानों की जागीर छिपाए हुए हैं। आज जानें.... बीसवीं सदी के शुरुआती दिनों की बातें हैं। जिला झेलम, तहसील ...Read Moreके शहर "करियाला" में भगतराम जौली थानेदार थे। गबरू जवान ऊपर से बड़ी पोस्ट, बीवी की मौत हो गई थी बुखार से । फिर भी चकवाल के डिप्टी कमिश्नर रायबहादुर रामलाल जौहर ने अपनी इकलौती औलाद "विद्या" का विवाह भगतराम से कर दिया । एक शर्त रखकर, कि विद्या की दूसरी औलाद हमें देनी होगी । विद्या के पहला बेटा

  • equilizer Listen

  • Read

छुट-पुट अफसाने - 3

  • 384

  • 984

एपिसोड ३ एक दिन झेलम से खबर आई कि इन्दर (I.S.Johar) बहुत बीमार है। बच्चों को लेकर भगतराम जी अपने लख्ते जिगर को मिलने गए। लेकिन वो अपने बेटे को एक बार छाती से लगाकर प्यार नहीं कर सके। ...Read Moreवो अपने वचन से बंधे जो थे। अब वो जौहर साब के दामाद थे केवल । हमारी मां बताती थीं कि उनके इस दर्द को बयां करना मुश्किल है। ये दर्द वहीं समझ सकते हैं, जिन्होंने अपनी औलाद किसी को गोद दी हो, और जग-ज़ाहिर की मनाही हो । बम्बई में मम्मी ने जब इंदर भाई से पूछा कि आप

  • equilizer Listen

  • Read

छुट-पुट अफसाने - 4

  • 225

  • 672

एपिसोड ४ जीवन के फुर्सत के पलों में जब हृदय अतीत को निमंत्रण देता है तो प्रकृति घटित हादसों या घटनाओं को भावी सृजन से नूतन अंशों में परिणत कर पुनर्जीवित करने का यत्न करती है और अनदेखा दृष्टव्य ...Read Moreसम्मुख आ जाता है। पढ़ें यह अफसाना... अभी मेरा शुमार बच्चों में ही था कि एक दिन रोशनलाल मामा जी की telegram यानि कि 'तार' कलकत्ता सेआई।(तब फोन नहीं तार से संदेश भेजते थे ) " Naxal attack daughter murdered. Wife serious" मम्मी रोने लगीं । हम सब घबरा गए । पापा ने मम्मी को कोडू भापे के साथ कलकत्ते

  • equilizer Listen

  • Read

छुट-पुट अफसाने - 5

  • 195

  • 645

एपिसोड ५ टकटकी लगाए पूनम के चांद को निहार रही थी कि हठात चौंक गई । बादलों का एक टुकड़ा आया और चांद का मुंह पोंछ गया । फिर भी उसके चेहरे पे वही चमक बरकरार रही लगा चांद ...Read Moreचमक उठा था और मैं ख्यालों में बह गई हूं, दू ऽऽ र तक..... इसी पूनम के चांद की दीवानी थी गुजरी (मेरी दादी )अपनी जवानी से । चांद के बढ़ते स्वरूप को हर रात बेसब्री से तकती थी वो और पूर्ण रूप देखते ही उसकी उमंगे नाच उठती थीं । पांव थिरक उठते थे और अन्तस से मधुर स्वर

  • equilizer Listen

  • Read

छुट-पुट अफसाने - 6

  • 237

  • 666

एपिसोड -६ ज़िन्दगी की खाली स्लेट पर जो इबारत सबसे पहली लिखी गई यानि कि "तबूला रासा" (लेटिन में ख़ाली स्लेट) पर अंकित मेरे इस जीवन की पहली याद जबलपुर से है। पापा के लाहौर के जिगरी दोस्त लेखराज ...Read Moreकी बहन "सुरक्षा" की शादी किसी कर्नल ओबेरॉय के साथ जबलपुर म.प्र. में थी । शादी में पहुंचना जरूरी था । पापा १९४७ के जुलाई में ही अपनी स्टेशन वैगन में ड्राइवर "जीवन ", मम्मी और हम दो बहनों ( ऊषा और मुझे )और हमारी नैनी यानि कि आया' द्रौपदी' को साथ लेकर निकल पड़े थे। पहले अमृतसर रुके कुछ

  • equilizer Listen

  • Read

छुट-पुट अफसाने - 7

  • 198

  • 570

एपिसोड ७ कुछ घटनाएं स्मृतियों में अंकित तो होती हैं। लेकिन वक्त़ की ग़र्द पड़ने से ज़हन में ही कहीं दफ्न पड़ी होती हैं, पर मिटती नहीं हैं । ख़ास कर बचपन की यादें...तब "तबूला-रासा" पर नई लिखावट थी ...Read Moreइसीलिए ! ‌ १३अगस्त १९४७ को शादी की रौनक धीरे-धीरे ख़त्म होने की तैयारी में थी कि अगले दिन १४ अगस्त को रेडियो के आसपास सब भीड़ जमा कर के बैठ गए। ख़बरों का बाजार गर्म था । लेकिन भारत के मध्य में तो वैसे भी राजनैतिक हलचल ठंडी थी । उत्तर भारत के लोग जिन मुसीबतों से जूझ रहे

  • equilizer Listen

  • Read

छुट-पुट अफसाने - 8

  • 222

  • 621

एपिसोड--८ कुछ यादें टीस की तरह रह-रह कर ताउम्र दर्द देती रहती हैं पर जान बख्श देती हैं बल्कि जीने के एहसास को हर पल चुनौती देती रहती हैं------ ‌इन हालात में काफी दौड़-धूप की जा रही थी कि ...Read Moreक्या किया जाए । लाहौर में glamour world से जुड़े थे, उसका तो यहां दूर-दूर तक कोई नामोनिशान ही नहीं था।तो फिर अब--? मल्होत्रा अंकल वकील थे। वकालत की प्रैक्टिस करते थे। बातों-बातों में उन्हें किसी मुवक्किल से पता चला कि जबलपुर से ६४ मील उत्तर की ओर "कटनी " शहर में अॉर्डिनेन्स फैक्टरी के आर्मी - केंटीन के ठेके

  • equilizer Listen

  • Read

छुट-पुट अफसाने - 9

  • 165

  • 426

एपिसोड--9 एक-एक कर सब साथ चलते गए और कारवां बनता गया। यह भाईयों - बहनों और उनके बच्चों का जमघट जब कटनी के स्टेशन पर पहुंचा तो सब विस्फारित नेत्रों से वहां की बेरौनकी देख रहे थे कि किस ...Read Moreमें आ पहुंचे हैं।स्टेशन पर एक-दो औरतें दिखीं जिन्होंने बदन पर केवल एक ओढ़नी सी लपेटी हुईं थीं। न ब्लाऊज़ न पेटीकोट। हां आधे घूंघट में अवश्य थीं । मर्दों ने कमर में धोती को लंगोट जैसे पहना हुआ था । पंजाबियों के लिए यह अजूबा था।( ये ही वहां के गांवों में मूल निवासियों का पहनावा है ।) खैर,

  • equilizer Listen

  • Read

छुट-पुट अफसाने - 10

  • 126

  • 471

एपिसोड--10 जाने-अनजाने झोली में ढेरों यादें, लम्हे, एहसास, मुस्कुराहटें, खिलखिलाहटें बटोरते रहते हैं हम सब । जब कभी उनमें से किसी भी एहसास के साथ वक्त बिताने को दिल करे तो सब एक से एक बढ़कर आगे मुंह निकालते ...Read Moreमैं-, पहले मैं-, नहीं पहले मैं ! चलो, आज यही सही... असल में हम पुराने समय में वास्तविकता के धरातल पर नहीं, अपितु काल्पनिकता की उड़ानें भरते थे। कारण, एकदम साफ है। हमें काल्पनिक कहानियां सुनाई जातीं थी । परियों, राजा-रानी, राजकुमार- राजकुमारियां, राक्षस- चुड़ैल या भूतों की बनावटी कहानियां । अभी भी ज़हन में हैं। सुनते-सुनते कभी हम सपनों

  • equilizer Listen

  • Read

छुट-पुट अफसाने - 11

  • 168

  • 543

एपिसोड - - 11 गहरी नींद में जब भजन की सुरीली आवाज आकर कान से टकराती तो मैं तकिये को कान से भींच लेती। क्योंकि मुझे अभी और नींद लेनी होती थी। रात देर तक जागकर पढ़ने की आदत ...Read Moreतभी से आज तक है। मम्मी प्रातःकाल पांच बजे नहा - धोकर चौड़ी लेस लगा दुपट्टा सिर पर ओढ़, सिंदूर की बड़ी बिंदी लगाकर हवन करती थीं। फिर भजन गाती थीं। ये भजन की गूंज हमारे मोहल्ले के लोगों के लिए अलार्म-घड़ी थी। पर मैं जानती थी कि अभी तो भगवान भास्कर अपनी यात्रा प्रारंभ करने हेतु रथ पर आरूढ़

  • equilizer Listen

  • Read

छुट-पुट अफसाने - 12

  • 159

  • 516

एपिसोड 12 वक्त की करवट की रफ्तार ने जो स्पीड पकड़ी है हर फील्ड में..उसकी हमने और आपने कभी कल्पना भी नहीं की थी --यह एक कटु सत्य तो है, भयावह भी है कई अर्थों में । संस्कारों की ...Read Moreकरें या धर्म की, सामाजिक ढांचे का स्वरूप देखें या राजनैतिक होड़ में सत्ता की लोलुपता के लिए आस्थाओं की आहुतियां डलते देखें । कहीं भी मन को शांति नहीं मिलती। संस्कार तो माता -पिता व परिवार से विरासत में मिलते हैं । मां या दादी घर में जिस ढंग से पूजा करतीं हैं और रीति-रिवाज निभातीं हैं, हम लोगों

  • equilizer Listen

  • Read

छुट-पुट अफसाने - 13

  • 114

  • 408

एपिसोड --13 किसी शायर ने क्या खूब इश्क के फितूर की बात कही है ... " फितूर होता है हर उम्र में जुदा-जुदा चढ़ती है जब इश्क की खुमारी ख़ुदा-खुदा । हंसता-खेलता बचपन दहलीज से पांव बाहर निकालने को ...Read Moreहै कि अल्हड़़ जवानी पीछे से आकर उसे पाश में बांध लेती है । ऐसा जादू चलता है उसका कि बचपन कब नन्हे पदचाप लिए किस ओर भाग जाता है, उसका पता ही नहीं चल पाता है । इसकी गवाही में स्कूल और आसपास का वातावरण सार्थक मूक-दर्शक होता है । यहां मैं इश्क-हकीक़ी या इश्क-हबीबी की बात नहीं करूंगी।

  • equilizer Listen

  • Read

छुट-पुट अफसाने - 14

  • 150

  • 567

एपिसोड--14 चटख चांदनी रात में बर्फ के दरिया पर चांदनी को फिसलते देख कर भाव विभोर हो रही थी मैं! ...सामने टी वी चल रहा था और मैं चांद की जगमग में सराबोर सन् 1963 में पहुंच गई थी। ...Read Moreरात हम सब, घर की बेटियां और बहुएं खुली जीप में मैहर की सड़कों पर गेड़ियां मार रहीं थीं गाने गाते हुए। जीप चला रहा था कमला (मेरी cousin) का देवर, जो इलाहाबाद के hostel से आया था। शर्त थी कि सब चांद पर गाने गायेंगे। और जीप घूमती रहेगी। और वो गाने थे... " ये रात ये चांदनी फिर

  • equilizer Listen

  • Read

छुट-पुट अफसाने - 15

  • 81

  • 396

एपिसोड - 15 एक खूबसूरत इमारत को देखकर अनायास ही उसके निर्माण करने वाले के लिए दिल से "वाह! " निकलती है। वहीं जिसने उसकी एक-एक ईंट को दूसरी ईंट से जुड़ कर उसे शानदार रूप लेते देखा हो, ...Read Moreअपनी उपलब्धि पर संतुष्ट होने का गर्व तो कर ही सकता है न ! कुछ ऐसी ही भावनाएं उठती हैं, हमारी पीढ़ीगत लोगों को आज के युग की तस्वीर देखकर। हमारा ताल्लुक उस युग के लोगों से है, जो समाज, उसकी संस्कृति के, प्रौद्योगिकी के बदलते स्वरूप के चश्मदीद गवाह हैं। याद है न, हमारे समय में घर में गेहूं

  • equilizer Listen

  • Read

छुट-पुट अफसाने - 16

  • 105

  • 363

एपिसोड---16 पुराने लोग जी जान से रिश्ते -नाते निभाते थे। नाराज़ भी वही लोग होते थे, जिन्हें यह गुमां होता था कि मुझे मनाने वाले लोग हैं। और अधिकतर घर के दामादों को विरासत में यह अधिकार दहेज के ...Read Moreमुफ़्त में ही मिल जाता था । वैसे तो हर कोई किसी न किसी घर का दामाद होता ही है, लेकिन अपनी पारी आने पर ही वो भी ये जलवे दिखाते थे। क्योंकि जो मर्जी हो जाए, जनवासे से बारात तो सब रिश्तेदारों को साथ लेकर ही चलती थी तब। गुलाबी पगड़ी बांधे सब रिश्तेदार शान से एकजुट हो आगे

  • equilizer Listen

  • Read

छुट-पुट अफसाने - 17

  • 84

  • 351

एपिसोड---17 गीत-संगीत, शेरों-शायरी, ग़ज़ल-नज़्म में अभिरुचि होने से मन का पंछी ऐसे ठौर ढूंढता रहता है, जहां उसकी प्यास बुझ सके। फिर चाहे वो"हरवल्लभ संगीत सम्मेलन"हो, "मदन मोहन नाईट"हो या " शाम-ए-फ़ाक़िर लो"हो। इन अज़ीम हस्तियों का गीत, संगीत ...Read Moreकलाम किसी भी रूप में हो रूह की ख़ुराक़ बन जाता है। पिछले ग्यारह सालों से इन दिनों का इंतजार रहता है क्योंकि फ़ाकिर साहब की पुण्यतिथि 18 फरवरी है और इसके आसपास जो शनिवार आता है, उनके बेटे मानव उस शाम को "शाम-ए-फ़ाकिर" कहलाने का सौभाग्य प्रदान कर देते हैं। इस वर्ष इस शाम का कुछ बेसब्री से इंतजार

  • equilizer Listen

  • Read

छुट-पुट अफसाने - 18

  • 438

  • 681

एपिसोड---18 ‌ पिछली सदी का छठा दशक समाप्त होने से पूर्व ही मेरी झोली में ढेरों रंग बिखेर गया।1969 में NCERT की ओर से मुझे " पी एच डी" करने का बुलावा आया ₹ 300/-स्कालरशिप के साथ। (विश्वविद्यालीय ...Read Moreपदक विजेताओं को यह सम्मान दिया जाता था तब । ) उस जमाने में यह अच्छी खासी रकम होती थी, फिर मुझे आगे पढ़ते रहने की प्रबल इच्छा भी थी। सो, मैं दिल्ली जाने के लिए झट तैयार हो गई। लेकिन, कैसे... कहते हैं न कि 'जहां चाह वहां राह' मिल ही जाती है।। हुआ यूं कि अचानक, दिल्ली से

  • equilizer Listen

  • Read

छुट-पुट अफसाने - 19

  • 87

  • 330

एपिसोड---19 ज़िन्दगी के किसी काल की घटनाएं और प्रसंग जब स्मृति पटल पर छा अठखेलियां करते हैं, तो दिल अनायास धड़क उठता है। कितना कुछ सामने होता है बयां करने को अलबत्ता कोई सुनने वाला हो। चलिए चलते हैं ...Read Moreकी हसीन वादियों में बसे पहलगाम में, जहां "रोटी " फिल्म की शूटिंग चल रही थी 1974 में। मुमताज़ हिरोइन का ढाबे का shot था। ढाबे के पीछे टैंट लगाया गया था, जिसमें एक मंजा (खाट)बिछा रखा था। उस पर मैं तीन वर्ष के मोहित को लिए बैठी थी। फिल्म में मुमताज़ ढाबेवाली थी।वो एक ही shot बार-बार देकर आती

  • equilizer Listen

  • Read

छुट-पुट अफसाने - 20

  • 90

  • 312

एपिसोड--20 ना अंधेरी गलियों में गुम होती हैं ना पूर्णचंद्र के प्रकाश में स्नान कर धवल रूप धरती हैं । कृष्ण पक्ष हो या शुक्ल पक्ष विचारधाराएं तो चलती ही रहती हैं। घटनाएं या अफसाने घटते ही रहते हैं। ...Read Moreअतीत की कोठरियां हैं, जो दरीचों में से भी बाहर आने को अकुलाते रहते हैं। ‌सन् 1970 की बात है। 12मार्च को हमारी शादी हुई तो हम हनीमून पर न जाकर ससुराल परिवार में सबसे मेरी घनिष्ठता बढ़ाने निकल पड़े। मैं "कटनी " एम .पी से थी। मुझे तो पंजाब के बाकि किसी शहर का नाम भी नहीं मालूम था

  • equilizer Listen

  • Read

छुट-पुट अफसाने - 21

  • 213

एपिसोड--21 ढेरों एपिसोड्स उमड़-घुमड़ कर बाहर निकलने की जद्दोजहद कर रहे हैं। लेकिन मैंने तो पंजाब-दर्शन आरम्भ किया है पिछली बार, तो हम पहले अमृतसर का चक्कर लगा लें, लगते हाथ । अगले दिन हम अमृतसर पहुंच गए थे। ...Read Moreप्रथम लाज़मी था " हरमन्दर साहब " के दर्शन करना। वो लोग महसूस नहीं कर सकते उस उतावलेपन, उस दर्शन की तड़प को जो पंजाब में रहते हैं, या जो लोग गुरु की नगरी में रहने का सौभाग्य लेकर पैदा हुए हैं। ज़रा पूछो उनसे जो दूर-दराज इलाकों में रहते हैैं, और जिनके पास पंजाब आने का कोई सबब ही

  • equilizer Listen

  • Read

छुट-पुट अफसाने - 22

  • 159

एपिसोड---22 दूसरी ओर रवि जी की बुआ जी का परिवार और उनके ज्येष्ठ दामाद श्री गोपाल देव कपूर जी( जिनके नाम से सांईदास स्कूल के साथ वाले मोहल्ले का नाम गोपाल नगर है)भी स्वतंत्र भारत में, जेल में काफ़ी ...Read Moreअरसे तक बंद रहे। वहीं उनका स्वास्थ्य बुरी तरह प्रभावित हुआ, वे R S S में थे। बुआ जी की दूसरी बेटी श्री मती विमला कोहली भी जनसंघ की लीडर एवम् कुशल प्रवक्ता थीं। उनके पति श्री सत्यदेव कोहली जी बाद में "गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय " हरिद्वार के चांसलर थे। विभाजन के पश्चात् ये सारा परिवार भी जालंधर आ गया

  • equilizer Listen

  • Read

छुट-पुट अफसाने - 23

  • 72

  • 279

एपिसोड---23 अभी कल की ही बात है तो, कभी बरसों निकल गए।आपकी सोच और मनोवृत्तियां आपको दिशाएं दिखाती रहतीं हैं। उन की ओर बढ़ने हेतु मन को स्वस्थ तन का भी साथ मिल जाए तो ढलती सांझ में भी ...Read Moreबनी रहती है और ढलती उम्र का बोझलपन हल्का हो जाता है । तभी वहां पहुंचकर लगता है कि स्मरण से नहा लिए हैं। स्मरण की रफ्तार चल पड़ती है, यादों को टटोलने... ‌ शादी के बाद कटनी यानि कि मायके जाने का अभी कोई दृश्य माहौल में सांस नहीं ले रहा था। पंजाब-दर्शन थोड़ा-बहुत करके हम जालंधर, अपने घर

  • equilizer Listen

  • Read

छुट-पुट अफसाने - 24

  • 198

एपिसोड---24 आत्मविभोर कर देता है कुछ घटनाओं का याद आना। हमारे पंजाब भ्रमण का अगला पड़ाव " लुधियाना" था। और पहली बार लुधियाना जाना मुझे रोमांचित कर रहा था । जब मैं बी.एड कर रही थी जबलपुर के "हवाबाग ...Read Moreमें तब मेरे साथ उषा सिब्बल पढ़ती थी। हमारी गूढ़ मित्रता के कारण वह भी मेरी लोकल गार्जियन बन गई थी बाद में।मैं होस्टलर थी, इसलिए एक दिन मेरा लंच बॉक्स उसके घर से आता था और दूसरे दिन " शिरीन" एक पारसी फ्रेंड थी मेरी उसके घर से आता था। हम तीनों की अच्छी दोस्ती थी। मैं वहीं आगे

  • equilizer Listen

  • Read

छुट-पुट अफसाने - 25

  • 120

एपिसोड---25 अतीत से जो नजरें मिलाईं, तो मुस्कुराहट भी मुस्कुराने लगी है। चलो जानेमन अतीत ! कुछ घड़ियां तुम्हारे साए में बिताते हैं आज। होता तो यही है कि नासमझ से हम जीवन की डगर पर जिए चले जाते ...Read More। क्या मालूम कब कौन सा मोड़ हमें अदृश्य होनी के हाथों जीवन की किस राह पर ले जाए। और उस पर सारी कायनात हमें उसे पूरा करने में साथ देने की जिद ही कर ले ! अपना किस्सा कुछ ऐसा ही है... ‌‌हुआ यूं कि दिल्ली से हमारे फैमिली फ्रेंड्स की बेटी शोभा की टेलीग्राम आई। "send Veena, Kashmir

  • equilizer Listen

  • Read

छुट-पुट अफसाने - 26

  • 69

एपिसोड---26 ‌‌ कि जनवरी की एक सर्द सुबह भैया के साथ कोई सीढ़ियां चढ़कर ऊपर आ रहा था । देखा वे आर.के.स्टूडियो पहलगांव वाले थे। आश्चर्यचकित थी, अप्रत्याशित रूप से उन्हें अपने घर, अपने सामने देखकर। उनकी मीठी ...Read Moreबोलती आंखें और आकर्षक व्यक्तित्व जिसकी कैंप में भी चर्चा होती थी, उस को निहारते हुए, पापा ने बड़ी ही गर्मजोशी से उनका स्वागत किया। बाद में उन्होंने बताया कि वे स्टेट बैंक ऑफ इंडिया जालंधर में कार्यरत हैं। दोस्त के साथ मुंबई अपने चचेरे भाई बलराज विज जो फिल्म " वचन" के हीरो हैं, उनको मिलने और बम्बई घूमने

  • equilizer Listen

  • Read

Best Hindi Stories | Hindi Books PDF | Hindi Novel Episodes | Veena Vij Books PDF

More Interesting Options

Hindi Short Stories
Hindi Spiritual Stories
Hindi Novel Episodes
Hindi Motivational Stories
Hindi Classic Stories
Hindi Children Stories
Hindi Humour stories
Hindi Magazine
Hindi Poems
Hindi Travel stories
Hindi Women Focused
Hindi Drama
Hindi Love Stories
Hindi Detective stories
Hindi Social Stories
Hindi Adventure Stories
Hindi Human Science
Hindi Philosophy
Hindi Health
Hindi Biography
Hindi Cooking Recipe
Hindi Letter
Hindi Horror Stories
Hindi Film Reviews
Hindi Mythological Stories
Hindi Book Reviews
Hindi Thriller
Hindi Science-Fiction
Hindi Business
Hindi Sports
Hindi Animals
Hindi Astrology
Hindi Science
Hindi Anything
Veena Vij

Veena Vij

Follow

Welcome

OR

Continue log in with

By clicking Log In, you agree to Matrubharti "Terms of Use" and "Privacy Policy"

Verification


Download App

Get a link to download app

  • About Us
  • Team
  • Gallery
  • Contact Us
  • Privacy Policy
  • Terms of Use
  • Refund Policy
  • FAQ
  • Stories
  • Novels
  • Videos
  • Quotes
  • Authors
  • Short Videos
  • Hindi
  • Gujarati
  • Marathi
  • English
  • Bengali
  • Malayalam
  • Tamil
  • Telugu

    Follow Us On:

    Download Our App :

Copyright © 2021,  Matrubharti Technologies Pvt. Ltd.   All Rights Reserved.