मन के मत पर मत चलियो रे....

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"मेरे जिस्म को गर्म करती यह रजाई,बईमानी लग रही थी,हार रही हूँ खुद से,मेरा प्यार क्या है मैं उससे कुछ करती भी हूँ की नहीं,बेबस हो गयीं हूँ।जनवरी के इस महीने में जब मैं रात को एक बजे यहाँ सो रहीं हूँ,जहाँ बगल में टेबल पर हीटर रखा है,कमरा इतना गरम है की मुझे अपने तलवे रजाई से बाहर करने पड रहे है।सौरभ घर के बाहर वाले गली में बाइक पर बैठा हुआ होगा,मेरे इतंजार मे,की मैं स्टेशन जाऊंगी तो "सी ऑफ" करने के लिए ।प्यार करती हूँ मैं उससे,हाँ कहा तो यही है "आई लव यु" ,अगर यहीँ प्यार