विश्वासघात--भाग(४)

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वो कहते हैं कि ना,समय किसी के लिए नहीं रूकता,वो तो निरन्तर अपनी चाल से चलता रहता है और समय ही सबसे बलवान होता है, उसके आगें कभी किसी की नहीं चलती,सब अपनी अपनी पुरानी बातें भूलकर अपनी जिन्द़गी में आगें बढ़ गए, पन्द्रह सालों के बाद सबकी जिन्दगियों ने एक नया मोड़ ले लिया था____ आज मैं बहुत खुश हूँ बेला! कि तुम डाँक्टर बन गई,जमींदार शक्तिसिंह बोले।। बाबा! ये तो सब आपकी मेहरबानियों का नतीजा है, आप ने उस दिन मुझे डाकू से बचाया और अपने साथ शहर ले गए, मुझे पढ़ा लिखाकर इस काब़िल बना दिया