विश्वासघात--भाग(१५)

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दूसरे दिन प्रदीप को मधु फिर से काँलेज में दिखीं और प्रदीप से उससे फिर से बात करने की कोशिश की और बोला चलों कुछ देर कैंटीन में चलकर बैंठतें हैं,लेकिन मधु ने इनक़ार कर दिया बोली,कुछ जुरूरी काम है,प्रदीप , मधु की बात सुनकर झुँझला गया और गुस्से से बोला___ उस थप्पड़ का बदला तुम मुझसे ऐसे लोगीं।। मै कोई बदला नहीं ले रही हूँ,मैं तो चाहती हूँ कि तुम मुझ जैसी लड़की से दूर रहो,मधु बोली।। लेकिन क्यों दूर रहूँ?बताओगी जरा! प्रदीप न पूछा।। क्योंकि मैं तुम्हारी दोस्ती के काब़िल नहीं हूँ,तुमने मुझ पर भरोसा किया