यह सड़क मेरे गांव को नही जाती

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यह सड़क मेरे गांव को नही जाती : बदलते ग्रामीण परिवेश पर व्योमेश चित्रवंश की एक बेहतरीन किताब एक लंबे अंतराल के बाद एक किताब पढ़ने को मिली जिसने गांव की यात्रा करवाई,जिसका शीर्षक वाकई एक रहस्य और दर्द को छुपाये हुये है कि सड़क (लेखक के संग ही समस्त पाठकों के) गांव को नही जाती ,जो खुद अपने गांवों से बिछुड़ गये है।आज वो गांव मिल जाने पर भी या यूं कहे दिख जाने पर भी अनजान सा लगता है। हालांकि अब उस गांव के खेत खलिहानों मे अब बैल की जगह ट्रैक्टर नजर आते हैं। प्राईमरी स्कूल जहां