बैंगन - 22

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वह ज़ोर से हंसा, पर और किसी को हंसी से नहीं आई। तब किसी ने कहा- तेरा जोक बेकार गया बे! वह खिसिया कर रह गया। उसने तो टीवी में देखा था कि "दाग अच्छे हैं" सो उसी धुन में उसने भी कह दिया "गड्ढे अच्छे हैं"! किसी के न हंसने पर वो मायूस होकर खड़ा था कि पीछे से आकर साहब ने उसकी पीठ पर एक ज़ोर की धौल जमाई। कुछ धूल उड़ कर रह गई उसके कपड़ों से। ये सारा मज़ाक चल रहा था पुलिस थाने में। हवलदार दिनराज अपनी सफ़लता पर ख़ुश था, साहब का धौल इसी