खौलते पानी का भंवर - 11 - औक़ात

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औक़ात बड़ी हीनता-सी महसूस हो रही है उसे. अपना अस्तित्व उसे मखमली चादर पर लगे टाट के पैबंद जैसा लग रहा है. हँसते-मुस्कुराते चेहरे, अभिजात्य मुस्कानें, कीमती कपड़े, जेवर - सब उसकी हीन भावना को और बढ़ा रहे हैं. इसके जी में आ रहा है कि जल्दी से जल्दी यह सब ताम-झाम खत्म हो ताकि वे लोग घर की राह लें. पर घर पहुँचना ही तो सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है इस वक़्त. दिनेश के बेटे की तबीयत अचानक खराब न हो गई होती तो उन्हीं के साथ उनकी गाड़ी में घर वापिस चले जाते. पर उन्हें बच्चे को