शिक्षा से कुछ शिक्षेत्तर सवाल

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आज शिक्षा की निरर्थकता और व्यवसाय विहीन शिक्षा के बारे में उमड़ती शिकायतों से जाहिर है कि जिस तरह की आदर्श अपेक्षाएं शिक्षा से की जाती हैं उतनी अन्य किसी उपक्रम से नहीं । शिक्षा क्षेत्र निर्माण नहीं कर रही, शिक्षा व्यक्तित्व के संपूर्ण विकास में सहायक नहीं हो रही, शिक्षा ज्ञान के बदले सूचनाएं दे रही है, शिक्षा मूल्यपरक नहीं है, शिक्षा रोजगार नहीं दे रही, शिक्षा महंगी हो गई है, शिक्षक पढ़ाते नहीं है,---- इस तरह के विलाप प्रारूप चारों दिशाओं में गूंज रहे हैं।भृष्ट राजनीति, राज्य व्यवस्था और जींस के रूप में हर चीज बेचते बाजार में