इंसानियत - एक धर्म - 39

  • 3.9k
  • 1.2k

मुनीर ने अंदर शौचालय का दृश्य देखकर अपना सिर धुन लिया । अंदर उस छोटी सी जगह में भी पांच आदमी घुसे हुए थे । अभी मुनीर ने कुछ कहा भी नहीं था कि अंदर से एक दुबले पतले मरियल से अधेड़ आदमी ने बड़े कड़क लहजे में कहा ” ऐ भाई ! क्यों परेशान कर रहा है ? दिख नहीं रहा जरा भी जगह नहीं है । जा ! और कहीं जुगाड़ कर ले ! ”मुनीर का जी तो किया कि उसे कस कर एक तमाचा रसीद कर दे लेकिन खुद को संयत रखते हुए उसने आवाज में मिठास