इंसानियत - एक धर्म - 43

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मुनीर के इतना कहते ही परी ने खुलकर अपनी नाराजगी का इजहार किया और मुंह फुलाकर बिसूरते हुए बोली ” ना मतलब ना ! अब आप हमें छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे । अब अगर आपने जाने की बात भी कही तो हम रोने लगेंगे । ”” बेटा ! हमारा यकीन करो ! आप बिरजू अंकल के साथ घर चलो । हम बस पांच मिनट में ही घर पर आ जाएंगे । ” मुनीर किसी तरह उससे पीछा छुड़ाना चाह रहा था । लेकिन उसके मन का चोर उसका समर्थन नहीं कर पा रहा था जो अच्छी तरह जानता था कि