हारा हुआ आदमी (भाग 28)

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"तुम्हारा बाहर जाना मुझे अच्छा नही लगता"निशा रोते हुए बोली।"क्यों?देवेन प्यार से निशा के गाल थपथपाते हुए बोला।"अकेले मेरा मन नही लगता।बोर हो जाती हूं।अकेली"।"तो यह बात है।डार्लिंग मेरी नौकरी ही ऐसी है।"देवेन ने पत्नी को गोद मे उठा लिया,"तुम ही बताओ अगर बाहर नही जाऊंगा तो काम कैसे चलेगा?""तुम कोई दूसरी नौकरी क्यों नही कर लेते।""दूसरी नौकरी।"देवेन पत्नी की बात सुनकर हंसा था।"हंस क्यों रहे हो?"पति को हंसता देखकर निशा बोली थी"बात हंसने की ही है।आजकल नौकरी मिलना इतना आसान नही है।""मुश्किल है लेकिन असम्भव नही।"निशा बोली,"नेगेटिव सोच मत रखो।गीता का ज्ञान याद रखो।कर्म करो।फल की चिंता नही।""मेरी प्यारी