अपनी सी रंग दीन्ही रे- सपना सिंह

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देशज भाषा..स्थानीयता और गांव कस्बे के हमारे आसपास दिखते चरित्रों से सुसज्जित स्त्रीविमर्श की कहानियों की अगर बात हो तो इस क्षेत्र में सपना सिंह एक उल्लेखनीय दखल रखती हैं। कई प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं तथा अंतर्जाल में छपने के अलावा उनके अब तक तीन एकल कहानी संग्रह और एक उपन्यास के अतिरिक्त उनके संपादन में वर्जित कहानियों का एक साझा संकलन 'देह धरे को दंड' भी आ चुका है। दोस्तों..आज मैं बात कर रहा हूँ हमारे समय की समकालीन लेखिका सपना सिंह के नवीतम कहानी संग्रह 'अपनी सी रंग दीन्ही रे' की। स्त्री विमर्श और उससे जुड़े विभिन्न मुद्दों को अपने