अधर्म  का  व्यापार

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अधर्म का व्यापार धर्म के नाम पर जहाँ देखिए पाखंड फैला है । इससे कुछ लोग धर्म पर ही उंगली उठाने लगे है। सबसे पहला प्रश्न है की धर्म क्या है ? धर्म की परिभाषा अनेकों विद्वानों ने दी है ।जैसे :- धर्म जीवन जीने की कला है ;धर्म उस प्रकृति के प्रति आभार प्रगट करने का तरीका है जिस ने हमें बनाया ।परन्तु गीता में दी गई परिभाषा ही सबसे उचित ओर उत्तम है । "जो धारण किया जाता है