मैं ईश्वर हूँ - 2

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एक आवाज ,एक शब्द मुझे सुनाई दिया। आश्चर्य है इस शांत अंधकार में ये शब्द कैसा, ये आवाज क्या है। अब वो आवाज लगातार आने लगी, कुछ रुक-रुक कर पर लगातार। में उस आवाज को सुनकर बैचेन हो गया और अपने भ्रूण रूपी शून्य में घूमने लगा, उस शब्द को सुनने और उसकी बजह जानने के लिए। मुझे लगा शायद ये आवाज कुछ समय बाद बंद हो जाएगी, पर वो लगातार, अनवरत आ रही है।इस शब्द से, आवाज से अब अंधकार डरावना सा लगने लगा, पहले जो आवाज मुझे अच्छी लग रही थी अब वही मुझे डराने लगी। पर में