नागमणी (संस्मरण ) - 4

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दूसरे दिन गुरूजी निर्धारित समय पर हमारे घर आ गए । उन्हें घर पर जलपान वगैरह कराकर हम साथ में ही घर से बाहर निकले । मुझे यह देखकर आश्चर्य हुआ कि गुरूजी ने मुझसे एक बार भी यह नहीं पूछा कि कहाँ जाना है या कहाँ जा रहे हैं ? बस साथ चलते रहे ।कुछ ही देर में मैं अपने उस मित्र के घर पहुँच गया जिसके पास वह नाग मणि थी । मित्र का घर मेरे घर से लगभग पाँच मिनट की ही पैदल दूरी पर था ।दरअसल कल गुरूजी की बात सुनकर व साँपों के बारे में