अमलतास के फूल - 11

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टूटते पंख      वह पूर्वी उत्तर प्रदेश का पच्चीस-तीस टूटी-फूटी झोंपड़ियों वाला छोटा-सा गाँव था। उस छोटे-से गाँव में पक्के मकान के नाम पर मुखिया जी का ही घर था, जो आधा कच्चा, आधा पक्का था। राम प्रसाद जिसे सब गाँव में परसादी के नाम से बुलाते हैं, पसीने से लथ-पथ, पुरानी-सी धोती- कुर्ता पहने, सिर को अंगोेछे से ढके अपने बेटे देशराज का हाथ पकड़े खेतों के बीच बनी टेढ़ी-मेढ़ी पगडंडियों से होता हुआ चला जा रहा था। वह प्रतिदिन लगभग तीन किमी0 दूर स्थित सरकारी प्राथमिक विद्यालय में देशराज को छोड़ने जाता हैं।