राधारमण वैद्य-भारतीय संस्कृति और बुन्देलखण्ड - 17

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अस्तित्व रक्षण की रचनात्मक गूँज-दर्दपुर राधारमण वैद्य उपन्यास केवल साहित्यिक रूप नहीं है, वह जीवन-जगत को देखने की एक विशेष दृष्टि है और मानव-जीवन और समाज का विशिष्ट बोध भी। कश्मीर का इतिहास मिली-जुली संस्कृति और साम्प्रदायिक सौहार्द का रहा है। घाटी में उग्रवाद का उभार हुआ तो भाईचारे के ताने-बाने टूटने लगे और आखिरकार वहाँ के हिन्दुओं को राज्य के बाहर पनाह लेनी पड़ी। धार्मिक आतंकवाद और पड़ोस से प्रेरित अलगाववाद ने वहाँ कहर ढाया, सारा वातावरण विषाक्त हो गया, समरसता बिखर गयी। राजनीति ने भी अपने स्वार्थ के डैने फैलाये, इकतरफा तुष्टिकरण के दांव से परिस्थिति