प्रेम और वासना - भाग 3

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प्रेम और वासना इंसानी जीवन के वो दो पहलू है, जिनके बिना जिंदगी को लय मिलना मुश्किल होता है। प्रेम को अगर वासना से अलग कर दिया जाय, तो प्रेम की परिभाषा को समझना, जरा मुश्किल ही होता है।जहां शुद्ध प्रेम का केंद्र बिंदु आत्मा को ही माना गया, वहां वासना युक्त प्रेम का केंद्र बिंदु, दिमाग और ह्रदय बताया जाता है। आत्मिक प्रेम निस्वार्थ और निराकार बताया गया, वहां वासना को कई आकार से पहचाना जा सकता है।शुरुआती जिंदगी में दोनों का ही समावेश होता हैं। कुछ विशिष्ट आदमी ही वासना की भूमिका को जीवन से अलग कर प