वो ख़्वाब था या हक़ीक़त......

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कभी कभी वो रात और वो मंज़र याद आता है तो मेरा दिल दहल उठता है आखिर वो क्या था?वो मह़ज मेरा कोई ख्वाब था या हक़ीक़त ,जिसे मैं आज तक भूल नहीं सका,जब कभी वो वाक्या मेरा सामने आता है तो ख़ौफ के मारे आज भी मेरे रौंगटे खड़े हो जाते हैं,उस रात की सारी घटना मेरी आंखों के सामने एक फिल्म की भांति चलने लगती है,भयानक और अंधेरी रात,ऊपर से सुनसान इलाका , बड़ा सा उजाड़ कमरा, फिर कंडक्टर की लाश का यूं मिलना,ना जाने उस रात क्या होने वाला था ?लेकिन हम उस रात सच में बच