गोलोकधाम

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न तद्भासयते सूर्यो न शशांको न पावकः ।यद्गत्वा न निवर्तन्ते तद्धाम परमं मम ॥ श्रीमद्भगवद गीता 15.6 अथार्त - जिस परमपद को प्राप्त होकर मनुष्य लौटकर संसार में नहीं आता उस स्वयंप्रकाश परमपद को न सूर्य प्रकाशित कर सकता है और न चन्द्रमा और न अग्नि ही, वही मेरा परमधाम है चलिए आज हम बाँकेबिहारीजी के श्री धाम गोलोक के दर्शन करते है !! बहुत पहले की बात है- दानव, दैत्य, आसुर